झाबुआ उपचुनाव में सरकार गिराने का झुनझुना नदारद

दरअसल किसी भी सरकार के लिए इससे बड़ा तनाव क्या हो सकता है कि हर दिन विपक्ष का कोई ना कोई नेता सरकार को गिराने की बात करें कोई लंगड़ी लूली सरकार कहे कोई कहे कि अब गिरी कब गिरी सरकार ऐसे में सरकार का पूरा ध्यान सरकार को बचाने और यह संदेश बनाने में लगा रहता है कि नहीं यह सरकार पूरे 5 साल चलेगी ऐसा ही कुछ मध्य प्रदेश की कांग्रेस सरकार के साथ हो रहा था लेकिन अब परिस्थितियां बदल चुकी है कोई भी अब सरकार गिराने की बात नहीं कर रहा है यहां तक कि झाबुआ विधानसभा के उपचुनाव भाजपा का कोई नेता यह मुद्दा नहीं उठा रहा हैबहरहाल झाबुआ विधानसभा चुनाव मैं कांग्रेश भले ही मतदाताओं को आकर्षित करने के लिए विकास का मुद्दा उठा रही हो कांतिलाल भूरिया को मंत्री बनाने या फिर प्रदेश अध्यक्ष बनाने की बातें कर रही हो लेकिन भाजपा ऐसे किसी मुद्दे को उठाने की बजाय सरकार की असफलताओं को गिना रही है उम्मीद की जा रही थी विधानसभा के उपचुनाव में सरकार के स्थायित्व को लेकर भाजपा के नेता जोर शोर से उठाएंगे क्योंकि झाबुआ विधानसभा का उपचुनाव यदि कांग्रेस जीत जाती है तो वह अपने दम पर बहुमत प्राप्त कर लेगी लेकिन यदि नहीं जीतती है तो उसे बसपा सपा और निर्दलीयों के सहारे की जरूरत बनी रहेगी यही कारण है की मुख्यमंत्री कमलनाथ ने झाबुआ में जमीनी जमावट और इस तरह से की है जिससे कि हर हाल में यह सीट जीती जा सके वैसे तो झाबुआ सीट की तासीर कांग्रेश मानसिकता की रही है केवल यहां भाजपा तीन बार ही जीत पाई है वह भी तब जब कांग्रेस के बागी प्रत्याशी मैदान में पूरी ताकत से डटे रहे यहां तक कि 2015 में मोदी लहर के बावजूद झाबुआ लोकसभा के उपचुनाव में कांग्रेस को सफलता मिली थी तब भाजपा की प्रदेश और देश में सरकार थी और सत्ता और संगठन में पूरी ताकत झोंक दी थी अब बदल गई है प्रदेश में कांग्रेस की सरकार है मुख्यमंत्री कमलनाथ चार बार झाबुआ का दौरा कर चुके और लगभग आधा दर्जन मंत्री क्षेत्र में डेरा डाले हुए  कांग्रेसका पूरा फोकस उन बूथों पर है जहां से भाजपा ने या निर्दलीय उम्मीदवार ने पिछले 3 चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी से बढ़त बनाई पार्टी के रणनीतिकार इन बूथों को जीतने के लिए पूरी ताकत झोंके हुए वही जिन बूथों पर भाजपा लहर के बावजूद कांग्रेस को बढ़त मिलती रही है वहां पर कांग्रेसी प्रत्याशी कांतिलाल भूरिया से कहा गया है कि वे इन बूथों पर मजबूती बनाए रखें और कोशिश करें पिछली बार की तुलना में यहां कांग्रेस को बढ़कर बढ़त मिलेकुल मिलाकर झाबुआ विधानसभा के उपचुनाव में भाजपा नेताओं की आक्रामकता दिखाई ना देने से कार्यकर्ताओं में भी उत्साह नहीं बन पा रहा है संघ और संगठन के कार्यकर्ता जरूर घर घर जाकर संपर्क कर रहे हैं लेकिन वैसा माहौल पार्टी का नहीं बन पा रहा है जो पिछले लोकसभा और विधानसभा चुनाव के दौरान था अब भाजपा नेता विजेता की मुद्रा में भाषण देते थे लोकसभा चुनाव में तो पूरे प्रदेश की तरह झाबुआ में भी भाजपा के नेता एक ही रट लगाए थे कि भाजपा को एक वोट देने से दो सरकारें मिलेंगी एक केंद्र में और दूसरी प्रदेश में क्योंकि केंद्र में भाजपा की सरकार बनने के बाद प्रदेश में कांग्रेस की सरकार गिरा दी जाएगी लेकिन इस उपचुनाव में भाजपा का कोई भी नेता सरकार गिराने का मुद्दा नहीं उठा पा रहा है